चर्म रोग दूर करने के आयुर्वेदिक व घरेलू उपाय

चर्म रोग कई प्रकार के होते हैं जैसे दाद, खाज, खुजली, छाछन, छाले, खसरा, फोड़े, फुंसी आदि

चर्म रोग होने के कई कारण हो सकते हैं:

अधिकतर समय धूप में बिताना ,किसी एंटीबायोटिक दवा के खाने से साइड एफेट्स होने पर , महिलाओं में मासिक चक्र अनियमितता की समस्या हो जाने पर ,शरीर में ज़्यादा गैस जमा होने से खुश्की का रोग हो सकता है, अधिक कसे हुए कपड़े पहेनने पर और नाइलोन के वस्त्र पहनने पर भी चमड़ी के विकार ग्रस्त होने का खतरा होता है, नहाने के साबुन में अधिक मात्रा में सोडा होने से , शरीर में खून की खराबी के कारण , गरम और तीखीं चिज़े खाने पर ,आहार ग्रहण करने के तुरंत बाद व्यायाम करने से , उल्टी, छींक, डकार, वाहर, पिशाब, और टट्टी इन सब आवेगों को रोकने से चर्म रोग होने का खतरा रहता है, शरीर पर लंबे समय तक धूल मिट्टी और पसीना जमें रहने से भी चर्म रोग हो सकता है ,और भोजन के बाद विपरीत प्रकृति का भोजन खाने से कोढ़ का रोग होता है। (उदाहरण – आम का रस और छाछ साथ पीना)।

त्वचा रोग के लक्षण

दाद-खाज होने पर चमड़ी एकदम सूख जाती है, और उस जगह पर खुजलाने पर छोटे छोटे दाने निकल आते हैं। समान्यतः किसी भी प्रकार के चर्म रोग में जलन, खुजली और दर्द होने की फरियाद रहती है। शरीर में तेजा गरमी इकट्ठा होने पर चमड़ी पर सफ़ेद या भूरे दाग दिखने लगते हैं या फोड़े और फुंसी निकल आते हैं और समय पर इसका उपचार ना होने पर इनमें पीप भी निकलनें लगता है।

त्वचा रोग होने पर भोजन में परहेज़ :

त्वचा रोग होने पर बीड़ी, सिगरेट, शराब, बीयर, खैनी, चाय, कॉफी, भांग, गांजा या अन्य किसी भी दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन ना करें, बाजरे और ज्वार की रोटी बिलकुल ना खाएं , शरीर की शुद्धता का खास खयाल रक्खे, समय पर सोना, समय पर उठना, रोज़ नहाना, और धूप की सीधी किरणों के संपर्क से दूर रहना आवश्यक है। भोजन में अचार, नींबू, नमक, मिर्च, टमाटर तैली वस्तुएं, आदि चीज़ों का सेवन बंद कर देना चाहिए। चर्म रोग में कोई भी खट्टी चीज़ खाने से रोग तेज़ी से पूरे शरीर में फ़ेल जाता है।

अगर खाना पचने में परेशानी रहती हों, या पेट में गैस जमा होती हों तो उसका उपचार तुरंत करना चाहिए। और जब यह परेशानी ठीक हो जाए तब कुछ दिनों तक हल्का भोजन खाएं ।

खराब पाचनतत्र वाले व्यक्ति को चर्म रोग होने के अधिक चान्सेस  होते हैं।

त्वचा की किसी भी प्रकार की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को हररोज़ रात को सोने से पूर्व एक गिलास हल्के गुनगुने गरम दूध में, एक चम्मच हल्दी मिला कर दूध पीना चाहिए।

त्वचा रोग में आयुर्वेदिक व घरेलू उपचार  :

  • नहाते समय नीम के पत्तों को पानी के साथ गरम कर के, फिर उस पानी को नहाने के पानी के साथ मिला कर नहाने से चर्म रोग से मुक्ति मिलती है।
  • नीम की कोपलों (नए हरे पत्ते) को सुबह खाली पेट खाने से भी त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।
  • त्वचा के घाव ठीक करने के लिए नीम के पत्तों का रस निकाल कर घाव पर लगा कर उस पर पट्टी बांध लेने से घाव मिट जाते हैं। (पट्टी समय समय पर बदलते रहना चाहिए)।
  • मूली के पत्तों का रस त्वचा पर लगाने से किसी भी प्रकार के त्वचा रोग में राहत हो जाती है।
  • प्रति दिन तिल और मूली खाने से त्वचा के भीतर जमा हुआ पानी सूख जाता है, और सूजन खत्म खत्म हो जाती है।
  • मूली का गंधकीय तत्व त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाता है।
  • मूली में क्लोरीन और सोडियम तत्व होते है, यह दोनों तत्व पेट में मल जमने नहीं देते हैं और इस कारण गैस या अपचा नहीं होता है।
  • मूली में मेग्नेशियम की मात्रा भी मौजूद होती है, यह तत्व पाचन क्रिया नियमन में सहायक होता है। जब पेट साफ होगा तो चमड़ी के रोग होने की नौबत ही नहीं होगी।
  • हर रोज़ मूली खाने से चहरे पर हुए दाग, धब्बे, झाईयां, और मुहासे ठीक हो जाते हैं।
  •  सेब के रस को लगाने से उसमें राहत मिलती है। प्रति दिन एक या दो सेब खाने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं। त्वचा का तैलीयपन दूर करने के लिए एक सेब को अच्छी तरह से पीस कर उसका लेप पूरे चहरे पर लगा कर दस मिनट के बाद चहरे को हल्के गरम पानी से धो लेने पर “तैलीय त्वचा” की परेशानी से मुक्ति मिलती है।
  • खाज और खुजली की समस्या में ताज़ा सुबह का गौमूत्र त्वचा पर लगाने से आराम मिलता है।
  • जहां भी फोड़े और फुंसी हुए हों, वहाँ पर लहसुन का रस लगाने से फौरन आराम मिल जाता है।
  • लहसुन और सूरजमुखी को एक साथ पीस कर पोटली बना कर गले की गांठ पर (कण्ठमाला की गील्टियों पर) बांध देने से लाभ मिलता है।
  • सरसों के तेल में लहसुन की कुछ कलीयों को डाल कर उसे गर्म कर के, (हल्का गर्म) उसे त्वचा पर लगाया जाए तो खुजली और खाज की समस्या दूर हो जाती है।
  • सूखी चमड़ी की शिकायत रहती हों तो सरसों के तैल में हल्दी मिश्रित कर के उससे त्वचा पर हल्की मालिश करने से त्वचा का सूखापन दूर हो जाता है।
  • हल्दी को पीस कर तिल के तैल में मिला कर उससे शरीर पर मालिश करने से चर्म रोग जड़ से खत्म होते हैं।
  • चेहरे के काले दाग और धब्बे दूर करने के लिए हल्दी की गांठों को शुद्ध जल में घिस कर, उस के लेप को, चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
  • करेले के फल का रस पीने से शरीर का खून शुद्ध होता है। दिन में सुबह के समय बिना कुछ खाये खाली पेट एक ग्राम का चौथा भाग “करेले के फल का रस” पीने से त्वचा रोग दूर होते हैं।
  • दाद, खाज और खुजली जैसे रोग, दूर करने के लिए त्वचा पर करेले का रस लगाना चाहिए।
  • रुई के फाये से गाजर का रस थोड़ा  कर के चहेरे और गरदन पर लगा कर उसके सूखने के बाद ठंडे पानी से चहेरे को धो लेने से त्वचा  साफ और चमकीली बन जाती है।
  • प्रति दिन सुबह एक कप गाजर का रस पीने से हर प्रकार के त्वचा रोग दूर होते हैं। सर्दियों में त्वचा सूखने की समस्या कई लोगों को होती है, गाजर में विटामिन A भरपूर मात्रा में होता है, इस लिए रोज़ गाजर खाने से त्वचा का सूखापन दूर होता है।
  • पालक और गाजर का रस समान मात्रा में मिला कर उसमें दो चम्मच शहद  मिला कर पीने से, सभी प्रकार के चर्म रोग नाश होते हैं।
  • गाजर का रस संक्रमण दूर करने वाला और किटाणु नाशक होता है, गाजर खून को भी साफ करता है, इस लिए रोज़ गाजर खाने वाले व्यक्ति को फोड़े फुंसी, मुहासे और अन्य चर्म रोग नहीं होते हैं।
  • काली मिट्टी में थोड़ा सा शहद मिला कर फोड़े और फुंसी वाली जगह पर लगाया जाए तो तुरंत राहत हो जाती है।
  • फुंसी पर असली (भेग रहित) शहद लगाने से फौरन राहत हो जाती है।
  • शहद में पानी मिला कर पीने से फोड़े, फुंसी, और हल्के दाग दूर हो जाते हैं।
  • सेंधा नमक, दूध, हरड़, चकबड़ और वन तुलसी को समान मात्रा में ले कर, कांजी के साथ मिला कर पीस लें। तैयार किए हुए इस चूर्ण को दाद, खाज और खुजली वाली जगहों पर लगा लेने से फौरन आराम मिल जाता है।
  • हरड़ और चकबड़ को कांजी के साथ कूट कर, तैयार किए हुए लेप को दाद पर लगाने से दाद फौरन मीट जाता है।
  • पीपल की छाल का चूर्ण लगा नें पर मवाद निकलने वाला फोड़ा ठीक हो जाता है। चार से पाँच पीपल की कोपलों को नित्य सुबह में खाने से एक्ज़िमा रोग दूर हो जाता है। (यह प्रयोग सात दिन तक लगातार करना चाहिए)।
  • नीम की छाल, सहजन की छाल, पुरानी खल, पीपल, हरड़ और सरसों को समान मात्रा में मिला कर उन्हे पीस कर उसका चूर्ण बना लें। और फिर इस चूर्ण को गौमूत्र में मिश्रित कर के त्वचा पर लगाने से समस्त प्रकार के जटिल त्वचा रोग दूर हो जाते हैं।
  • अरण्डी, सौंठ, रास्ना, बालछड़, देवदारु, और बिजौरे की छड़ इन सभी को बीस-बीस ग्राम ले कर एक साथ पीस लें। उसके बाद इन्हे पानी में मिला कर लेप तैयार कर लें और फिर उस लेप को त्वचा पर लगा लें। इस प्रयोग से समस्त प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।
  • खीरा खाने से चमड़ी के रोग में राहत मिलती है। ककड़ी के रस को चमड़ी पर लगाने से त्वचा से मैल दूर होता है, और चेहरा चमकता  है। ककड़ी का रस पीने से भी शरीर को लाभ होता है।
  • प्याज को आग में भून कर फोड़ों और फुंसियों और गाठों पर बांध देने से वह तुरंत फुट जाती हैं। अगर उनमें मवाद भरा हों तो वह भी बाहर आ निकलता है। हर प्रकार की जलन, सूजन और दर्द इस प्रयोग से ठीक हो जाता है। इस प्रयोग से इन्फेक्शन का जख्म भी ठीक हो जाता है। प्याच को कच्चा या पक्का खाने से त्वचा में निखार आता है।
  • प्रति दिन प्याज खाने वाले व्यक्ति को लू कभी नहीं लगती है।
  • पोदीने और हल्दी का रस समान मात्रा में मिश्रित कर के दाद खाज खुजली वाली जगहों पर लगाया जाए तो फौरन राहत मिल जाती है।
  • पिसा हुआ पोदीना लेप बना कर चहेरे पर लगाया जाए और फिर थोड़ी देर के बाद चहेरे को ठंडे पानी से धो लिया जाए तो चहेरे की गरमी दूर हो जाती है, तथा स्किन चमकदार बनती है।
  • अजवायन को पानी में उबाल कर जख्म धोने से उसमे आराम मिल जाता है।
  • गर्म पानी में पिसे हुए अजवायन मिला कर, उसका लेप दाद, खाज, खुजली, और फुंसी पर लगाने से फौरन आराम मिल जाता है।
  • नमक मिले गर्म पानी से त्वचा को धोने या सेक करने से हाथ-पैर और ऐडियों की दरारें दूर होती हैं और दर्द में फौरन आराम मिल जाता है।
  • गरम पानी में नमक मिला कर नहाने से सर्दी के मौसम में होने वाले त्वचा रोगों के सामने रक्षण मिलता है। और अगर रोग हो गए हों तो इस प्रयोग के करने से रोग समाप्त हो जाते हैं।

अधिक जानकारी के लिए या इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें .

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